पर नाचने वाली मीडिया तुम्हें शायद अब ये तस्वीर ना नज़र आए क्यूंकि ये सिर्फ इंसान ही देख सकते हें गिद्ध नही।
और दिल्ली के सदन मे खड़े होकर दिल्ली सरकार वाले जो कह रहे थे रेल्वे पर बसी एक भी झुग्गी नही गिरने देंगे लेकिन यहा खुद ही गिरा दिए उससे साफ तोर पर नज़र आता हे ये लोग सिर्फ सत्ता के और अखबार मे छपी हेडलाईन के भूखे हो गए हैं
कोई अपने घर के टूटे-फूटे सामान को देख रहा है भूखा प्यासा बैठकर तो कोई गम जदा होकर अब कहां जाएंगे पहले इस लोक डॉन ने हमें कंगाल कर दिया और अब खाने को भी नहीं था कैसा भी घर में भूखे प्यासे सो जाते मगर अब घर भी नहीं रहा भूख भी है और दरबदर भी फिर रहे हैं यह लोग अपनी फरियाद सुनाए तो किसको सुनाएं