🇮🇳मेरा *आंदोलन*
असलम इसाक बागवान
इनक्रेडिबल किसान और मजदुर।
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*अखिल भारतीय किसान समन्वय* *समिती* । यह लगभग 500 से अधिक किसान और मजदुरोंकी संघटनासे बनी समीती है।
इसमे काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तकके संघटन सामिल है।
*हमारी इनक्रेडिबल किसान और मजदुर* संघटना "मेघाजी पाटकरके नेतृत्व मे 23/11/2020 से हम और हमारे साथी "घेरा डालो डेरा डालो अंदोलनमे सामिल हुवे नंदुरबार,
संच्युरी फँक्टरी तक *24/11/2020* तक पोहंच कर मेघाजी के नेतृत्व मे हमने एम पी के शहर इंदौर ,खालघाट,
सेंधवा, देवासा, गुणा, मुनैरा, धौलपुर आदी एम पी और राजस्थान मे रोड रँली, सभाये ली।
इस इलाकेके लगभग *हजरोंकी संख्यामे* हमसे किसान और मजदुर संघटनके नेतावोंसे चर्चा कर इस आंदोलनमे सामिल होने का नेवता दिया।
सभी जगहपर हमारी बहोतहि अच्छी तरहसे *आवभगत की गयी।
खासकर गुणा शहरके नेतावोंने* बेहतरीन खाना और ठहरनेका इंन्तजाम किया।
(सभी साथी और नेतावोंके नाम लिखना मुमकिन न होनेंकी वजहसे किसीका नाम नहि लिखे है)
जब हम *25/11/2020 को शाम* *7=00 के करीब धौलपुर* से आग्रा के लिए निकले तो हमे युपी बाँडरपर युपी पोलिसने रोखा।
बहोत बहसके बादभी बढी बेरूखीसे युपी पोलिसने हमे *बँरीकेट लगाकर* रोका।
तब हमने *चक्का जाम* आंदोलनका फैसला आपसी समझोतेसे मेघा पाटकरजी के नेतृत्वमे करनेका फैसला किया।
कुछहि घंटोमे यह बात आगकी तरहसे आस पासके गाँवोंको पता चलतेहि हजारोकी तादादमे हमसे संघटन और किसान जुडने लगे।
जैसे जैसे रात होने लगी सर्दिभी बढने लगी और यह तमाशा देख कुदरतभी रो पडा।
सर्दि और बारीशमे रात *ठिक 12=02 बजे मशाल
जलाकर* *और संविधान का प्रियंबल* *पढकर हमने संविधान* दिन राजस्थान और युपी के बिच रास्ते पर मनाया, गर्वसे मेरा सिना काफी फुल गया था।
युतो हमे आंदोलन मोर्चा रास्तारोखोंकी आदतसी है पर युपी *का रास्ता रोख हमे अजिबसा*
अभिमान और गर्व महसुस हो रहा था। जैसे तैसे वह रात भिगकर और सिकुडकर निकाली।
सवेरे सवेरेहि काँग्रेस के नेता ( *एम एल ए, धौलपुर)* *रोहित बोराजी* इस आंदोलनको समर्थन देने पोंहचे उन्होने राजस्थान के मुखमंत्री *अशोकजी गहलोतके*
निर्देश के अनुसार हमे गरम कपडे बिछोना, चाय, नास्ता, खाना, सर्दिसे बचनेके लिये लकडीया और महिलांवोके लिये शाँल मुय्ययना करवा दिया।
इस समय, युपी, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगणा के साथीभी सामील हुवे
(बडी शर्म की बात यह है की महाराष्ट्र इस किसान आंदोलनमे नजर नहि आयी) दुसरे दिन याने 27/11 सवेरेसेहि युपी पोलिस लाठिया बंदुके लेकर बाँडरपर परेड करने लगी।
तब हमने "गो *बँक युपी पोलिस के नारे* लगाये और *पंतप्रधान नरेंद्र मोदी का* *पुतला जला दिया।*
68 घंटेकी चक्का जामकी वजहसे* काफी दुर दुरतक गाडीयाँ जमने लगी आखीर जित हमारी हुवी, हमे शाम 5=30 के करीब युपी बाँडर पारकर "दिल्ली जानेकी अनुमती दे दि गयी।
हमने उसी शाम आग्रामे रँली कर दिल्ली प्रस्थान किया।
तकरीबन 3=15 हम दिल्ली के निरंकरी गार्डन हमे दिल्ली पोलिस ले गयी,
वहा हरयानवी, पंजाबी भाईयोंने हमारी बहोतहि अच्छी खातिरदारीकी यह व्यवस्था "आम आदमी पार्टी की ओरसेथी।
सवेरे हमने उस मैदानपर धरना विरोध किया
बहोतसे न्युज मिडीया, *उसमेभी गोदी मिडीया* के *दलालभी आये हुवे* थे। वे हमे बाटनेकी कोशिश कर रहे थे
"सिख भाई को खलिस्तानी, मुस्लिम भाई को आतंकवादी और आदिवासीयोंको नक्षलीभी कह रहे थे,
कुछ समय बाद हमे महसुस होने लगा की " *हमे डिटेंशन मे रखा* गया है, " केजरीवाल "सरकारसे* हमे यहि उम्मीदभी थी।
रामलिला मैदानको परमिशन न देना "
अंदोलनकारी को मैदानोंमे कैद करनेका हुक्मभी साहबने दिल्ली पोलीसको दिया था।
दिल्ली पोलिस हमे मैदानसे बाहर जानेंकी* अनुमती नहि दे रहे थे जैसे तैसे हम "सिंगु बाँर्डर "पोहंछे जहाँ लाखोंकी तादादमे पंजाबी रास्ता रोको किये हुवे थे।
अगर मोदी सरकार किसान और मजदुर विरोधी कानुन खारिज नहि करती और खेती उपजपर न्युनतम राशी (एम एस पी) तब तक हम *दिल्ली का घेराव* 30/11/2020 अनिश्चित कालके लिये करनेका फैसला लिया गया।
यह मेरे लिए बहोतहि बढा अनुभव और मेरे सामजिक कार्यको नवचेतना देने वाला रहा।
हमारे नेतावोंके निर्देश पर हम वापस अपने शहर लौट गये।
एक नयी उर्जा नया जोश और हिम्मतके साथ महाराष्ट्र के किसानोको जगानेकी तैयारीसे।
*झिंदाबाद।।*
*लढेंगे जितेंगे। इन्कलाब झिंदाबाद* ।।