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*सौनेवाले जागो। जागनेवाले उठो।* *"सौ बकरीकी जिंदगी दिनकीजिनेसे* *बेहत्तरहै



*सौनेवाले जागो। जागनेवाले उठो।* 
 *"सौ बकरीकी जिंदगी दिनकीजिनेसे* *बेहत्तरहै 

एकदिनकी* शेर जैसे जिंदगी। 
उठो लढो आवाज उठावो जुल्मीयोंके खिलाफ 

आप पर हो रहे अन्याय के खिलाफ. अगर आपमे अभिभी कुछ गैरत और नाइन्साफीके खिलाफ आवाज उठानैकी हिम्मत हो तो 

26 नवबर  " *संविधान दिन "* के रोज सिर्फ दस मिनटका वकत निकालकर असंविधानीक तत्वोंका विरोधतो आप यकिनन कर सकते हो। 
जबसे यह सरकार आयी है, 
*अल्पसंख्याक, किसान, मजदुर* दलीत इनके खिलाफ बहोतसे कानुनोंमे बदलाव किये है, 

जी, एस टि, सी ए ए, एन आर सी, किसान और मजदुर विरोधी व्यापरी 

धार्जिन कानुन जैसे बहोते कानुनमे बदलाव कर हर सामान्य नागरिकोंको असूरक्षित किया है। 

बढती मेहंगाई और घटती रोजगारी से पुरा मुल्क परेशान है। 

आप इसी तरहसे खामोश रहे तो वह दिन दुर नहि आपके गलेमे यकीनन गुलामीका पट्टा होगा। 
आनेवाले पुश्ते आपको कोसेगी, कीतनी निकम्मी और डरपोक थै हमारे बुजुर्ग। 


लढो, सडकपर आवो जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करो। 


"मौततो मुकरर है पर जिंदगी कैसे  जिना है यह आपके हाथमे है। 


"चलो दिल्ली " हर एक "असंविधानीक कानुनका विरोध करने " 


किसान, मजदुर, मचहारे, सफाई सेवक, बिजली मजदुर, ठेलेवाले, रिक्षावाला, नोकरीपेशेवाले, छोटे व्यापारी आवो हम सब मिलकर यह जंग लढे। 


"लढेगे जितेंगे। इन्कलाब झिंदाबाद।। 
असलम इसाक बागवान, 
इनक्रेडिबल समाजसेवक गृप.