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आख़िर ज़िंदगी से हार मान गये दिलों के सिकंदर


आख़िर ज़िंदगी से हार मान गये दिलों के सिकंदर

कैसे भूल जाऊँ कुछ साल पहले जब मैं अपना ऑफ़िस ख़ाली करके जा रहा था तो ये जनाब पता नहीं कहाँ से आ गए ... 

अंदर आकर बोले यहाँ वीडियो एडिटिंग भी होती है ? 


मैंने कहा सर होती थी अब ऑफ़िस ख़ाली करके जा रहा हूँ ... बोले क्यों? मैंने कहा पैसे नहीं हैं किराए के! डिपॉज़िट भी पूरा हो चुका है .

 बोले ख़ाली मत कीजिए ये बगल वाला ऑफ़िस मेरा है .. ये ले लीजिए ! मैंने कहा मेरे पास पैसे नहीं है .. बोले जब आए तो दे देना ! 

उसके बाद धीरे धीरे मैंने इनके 4 ऑफ़िस किराए से लिए ! 2 साल पहले मैंने एक फ़्लैट ख़रीदा मैंने कहा सर मुझे 1 लाख उधार चाहिए ... फ़ौरन दिए ! 

मैं दिल्ली गया उनका फ़ोन आया पैसे के लिए ... मैंने कहा सर मैं एक प्रॉब्लम में फँस गया हूँ .. मैं दिल्ली airport पर हूँ ... मुझे अर्जेंट मुंबई आना है ... मेरी टिकट करा दीजिए ..

 हसने लगे बोले यार मैंने तो पैसे के लिए कॉल किया था , लेकिन तुम चिंता मत करो अभी करता हूँ ! 
और जब वो कोरोना में अड्मिट हुए मुझे कॉल किए .. परसों उनकी पत्नी ने बताया की तबियत में सुधार है 

लेकिन आज जब फिर भाभी जी से बात हुई तो उन्होंने बताया सिकंदर जी नहीं रहे ! मैं क्या कहूँ..? ऐसा दोस्त..ऐसा इंसान मिलना मुश्किल है 

यक़ीन नहीं हो रहा दिलों के सिकंदर .. सिकंदर भाटिया अब हमारे बीच नहीं रहे ! 

आप बेहतरीन कैमरामेन और फ़िल्म निर्माता -निर्देशक भी थे !
आपको शत शत नमन ... 
भावपूर्ण श्रद्धांजलि😭😭😭🙏🙏🙏