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झारखंड की धरती से जुड़े फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा उत्तराखंड में सम्मानित झारखंड की धरती से जुड़े फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा को देहरादून(उत्तराखंड) में आयोजित देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल(छठा सीजन) में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में अवार्ड दे कर सम्मानित किया गया।


झारखंड की धरती से जुड़े फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा उत्तराखंड में सम्मानित



   झारखंड की धरती से जुड़े फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा को देहरादून(उत्तराखंड) में आयोजित देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल(छठा सीजन) में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 

और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में अवार्ड दे कर सम्मानित किया गया। 

यह अवार्ड फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा को बॉलीवुड में उनके द्वारा नवोदित प्रतिभाओं को प्रकाश में लाने के लिए किये गए कार्यों के लिए दिया गया। फिल्म 'काबू'(2002)

, 'बॉर्डर हिंदुस्तान का'(2003), 'शबनम मौसी', 'धमकी'(2005), 'मिस अनारा'(2007), 'माई फ्रेंड गणेशा(फिल्म श्रृंखला 2007), 'सावंरिया'(2007), 

'माई हस्बैंडस वाइफ'(2010), 'मैं कृष्णा हूँ', 'ज़िन्दगी 50-50'(2013), 'लव यू फैमिली'(2017), 'सत्य साईं बाबा'(2021) के अलावा मराठी फिल्म 'बाला' 

जैसी कई हिट फिल्मों का लेखन व निर्देशन कर चुके फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा की फिल्म ' मुम्बई कैन डांस साला'(1915) उनकी काफी चर्चित फिल्मों में से एक है। 

चाईबासा(झारखंड) के मूल निवासी फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा ने अपना फिल्मी कैरियर 1992 में बतौर फिल्म पत्रकार शुरू किया था। बाद में इन्होंने अपना रुख पटकथा लेखन, 

निर्देशन और फिल्म निर्माण की ओर किया और अपनी प्रतिभा के बदौलत बॉलीवुड में झारखंड के परचम लहराया। 

नवोदित प्रतिभाओं को चांस देने में अग्रणी फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा फ़िलवक्त क्षेत्रीय फिल्मों व धार्मिक फिल्मों की मेकिंग के तरफ ध्यान दे रहे हैं।

 झारखंड की लोक कला संस्कृति से जुड़ी एक फिल्म की घोषणा फिल्मकार सचिन्द्र शर्मा बहुत जल्द ही करने वाले हैं। 

बकौल सचिन्द्र शर्मा प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज सम्पदाओं से भरपूर झारखंड प्रदेश में प्रतिभाशाली कलाकारों की कमी नहीं है। 
फिल्म निर्माण के क्षेत्र में प्रदेश के कई फिल्मकार क्रियाशील हैं। 

झारखंड में दुनिया के सबसे सुंदर 
डेस्टिनेशन हैं।

 फिल्म शूटिंग के लिए झारखंड में अपार संभावनाएं हैं। 

प्रदेश सरकार यदि सहोग्यात्मक रुख अख्तियार करे तो झारखड फिल्म हब के रूप में विकसित हो सकता है।

प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय